बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य : सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी नाटक में इतिहास और कल्पना का सुन्दर सामंजस्य हुआ है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
उत्तर -
जयशंकर प्रसाद का नाटक 'ध्रुवस्वामिनी' इतिहास और कल्पना के सामंजस्य से लिखा गया है। वस्तुतः 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक ऐतिहासिक धरातल पर लिखा गया है किन्तु इस नाटक में रोचकता का निर्वाह करने के लिए इसमें काल्पनिकता का भी समावेश किया गया है। इस नाटक के पात्र भी इसी आधार पर दो प्रकार के हैं, पहले ऐतिहासिक पात्र - चन्द्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, रामगुप्त और शकराज तथा दूसरे काल्पनिक पात्र - कोमा, मिहिरदेव, मन्दाकिनी तथा पुरोहित।
ऐतिहासिक नाटक होने के कारण प्रसाद जी ने ध्रुवस्वामिनी नाटक में देशकाल और वातावरण का पूरा निर्वाह किया है। इस नाटक में जयशंकर प्रसाद ने गुप्तकाल के अतीत की भव्य झाँकी प्रस्तुत की है। 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक में तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक स्थितियों का जीवन्त चित्रण किया गया है। साथ ही कल्पना के मिश्रण से नाटक में वर्तमान चेतना भी सजीव हो उठी है।
इस नाटक में प्रसाद जी ने सांस्कृतिक तथा राष्ट्रीय चेतना उत्कृष्ट स्वरूप प्रस्तुत किया है। वे इतिहास की कथावस्तु को आधार बनाकर वर्तमान का चित्रण करने में बहुत सिद्धहस्त थे। प्रसाद जी ने भारतीय संस्कृति तथा उसके मूल तत्वों का समावेश अपने नाटक के पात्रों में करते थे। प्रसाद जी के नाटक ध्रुवस्वामिनी में विवाह के बाद होने वाली समस्याओं का चित्रण किया गया है। प्रसाद जी हिन्दी के ऐतिहासिक नाटक की रचना करने वाले माने जाते हैं। प्रसाद जी ने भारत के गौरव का चित्रण उन्होंने अपने नाटकों के द्वारा लोगों में राष्ट्रीय भावना को उत्पन्न करने का प्रयास किया है।
प्रसाद जी के अनुसार, “मेरी इच्छा भारत के इतिहास के अप्रकाशित अंश से उन प्रकाण्ड घटनाओं का दिग्दर्शन करने की है, जिन्होंने हमारी वर्तमान की स्थिति को सुधारने का प्रयास किया है।"
इन्होंने अपने नाटकों में मौर्यकाल, गुप्तकाल तथा बौद्धकाल से चुने है जिसको भारत के इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है। नाटक ध्रुवस्वामिनी में प्रसाद जी ने नारी को अन्तर्दशा का चित्रण प्रस्तुत किया है। इस ऐतिहासिक नाटक के द्वारा प्रसाद जी ने विवाह बाद एक पति के उत्तरदायित्व का बोध इस नाटक के द्वारा प्रस्तुत किया है। ध्रुवस्वामिनी नाटक के द्वारा प्रसाद जी ने ऐतिहासिक घटनाओं की प्रस्तुत किया है।
प्रसाद जी ने 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक की कथावस्तु तो ऐतिहासिक रखी है किन्तु उस कथावस्तु में कल्पना का अवलम्ब लेकर नाटक में मौलिकता और नवीनता लाने का प्रयास किया है। डॉ० जगन्नाथ शर्मा इस सम्बन्ध में कहते हैं "प्रसाद के कल्पना का उपयोग दो रूपों में किया गया है- पहला तो इतिहास की जो बातें विकीर्ण हो गई हैं, उन्हें एक सूत्र में पिरोने के लिए, दूसरा नाटकीय पूर्णता के निमित्त कोई अनैतिहासिक पात्रों की सृष्टि के लिए प्रसाद के नाटकों में परिस्थिति योजना को भी महत्व दिया गया है।" डॉ० जगन्नाथ शर्मा प्रसाद के ऐतिहासिक नाटकों में संवैधानिक सौष्ठव के लिए परिस्थिति योजना का यथार्थ और प्रकृत रूप मानते हैं। प्रसाद के काल्पनिक नाटक के गुण में, उनका पाश्चात्य ट्रेजडी सिद्धान्त भी 'ध्रुवस्वामिनी' में प्रभावी है। नाटक काल्पनिकता के धरातल पर आकर सुखान्त और दुःखान्त के बीच खोया सा प्रतीत होता है।
प्रसाद का 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक जहाँ एक ओर गुप्तकाल के साम्राज्य का चित्रण करके अपनी ऐतिहासिकता की व्याख्या करता है, वहीं उस नाटक के संवाद-संयोजन, रंग-संकेत, कथोपकथन तथा काल्पनिक पात्रों का समावेश और नाटक में गीत-संयोजन उनकी काव्य-कल्पना को जीवन्त करता है। सम्पूर्ण 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक का कथा आधार ऐतिहासिक होते हुए भी नाटककार जयशंकर प्रसाद ने घटनाओं की परम्परा को ठीक से निर्वाह करने के लिए कल्पना का आश्रय लिया है। इससे यह सिद्ध होता है कि प्रसाद का नाटक 'ध्रुवस्वामिनी' इतिहास और कल्पना का मणिकांचन संयोग है।
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- प्रश्न- आदिकाल के हिन्दी गद्य साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की विधाओं का उल्लेख करते हुए सभी विधाओं पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी नाटक के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी साहित्य के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी निबन्ध के विकास पर विकास यात्रा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी आलोचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'आत्मकथा' की चार विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- लघु कथा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हिन्दी गद्य की पाँच नवीन विधाओं के नाम लिखकर उनका अति संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आख्यायिका एवं कथा पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सम्पादकीय लेखन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्लॉग का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- रेडियो रूपक एवं पटकथा लेखन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- हिन्दी कहानी के स्वरूप एवं विकास पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- प्रेमचंद पूर्व हिन्दी कहानी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नई कहानी आन्दोलन का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- हिन्दी उपन्यास के उद्भव एवं विकास पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- उपन्यास और कहानी में क्या अन्तर है ? स्पष्ट कीजिए ?
- प्रश्न- हिन्दी एकांकी के विकास में रामकुमार वर्मा के योगदान पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी एकांकी का विकास बताते हुए हिन्दी के प्रमुख एकांकीकारों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि डा. रामकुमार वर्मा आधुनिक एकांकी के जन्मदाता हैं।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का योगदान बताइये।
- प्रश्न- निबन्ध साहित्य पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' के आधार पर जीवनी और संस्मरण का अन्तर स्पष्ट कीजिए, साथ ही उनकी मूलभूत विशेषताओं की भी विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'रिपोर्ताज' का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आत्मकथा और जीवनी में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- हिन्दी की हास्य-व्यंग्य विधा से आप क्या समझते हैं ? इसके विकास का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कहानी के उद्भव और विकास पर क्रमिक प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सचेतन कहानी आंदोलन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जनवादी कहानी आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
- प्रश्न- समांतर कहानी आंदोलन के मुख्य आग्रह क्या थे ?
- प्रश्न- हिन्दी डायरी लेखन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- यात्रा सहित्य की विशेषतायें बताइये।
- अध्याय - 3 : झाँसी की रानी - वृन्दावनलाल वर्मा (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- उपन्यासकार वृन्दावनलाल वर्मा के जीवन वृत्त एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- झाँसी की रानी उपन्यास में वर्मा जी ने सामाजिक चेतना को जगाने का पूरा प्रयास किया है। इस कथन को समझाइये।
- प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास में रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- झाँसी की रानी के सन्दर्भ में मुख्य पुरुष पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास के पात्र खुदाबख्श और गुलाम गौस खाँ के चरित्र की तुलना करते हुए बताईये कि आपको इन दोनों पात्रों में से किसने अधिक प्रभावित किया और क्यों?
- प्रश्न- पेशवा बाजीराव द्वितीय का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- अध्याय - 4 : पंच परमेश्वर - प्रेमचन्द (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'पंच परमेश्वर' कहानी का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- जुम्मन शेख और अलगू चौधरी की शिक्षा, योग्यता और मान-सम्मान की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- “अपने उत्तरदायित्व का ज्ञान बहुधा हमारे संकुचित व्यवहारों का सुधारक होता है।" इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 5 : पाजेब - जैनेन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- श्री जैनेन्द्र जैन द्वारा रचित कहानी 'पाजेब' का सारांश अपने शब्दों में लिखिये।
- प्रश्न- 'पाजेब' कहानी के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'पाजेब' कहानी की भाषा एवं शैली की विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 6 : गैंग्रीन - अज्ञेय (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर अज्ञेय द्वारा रचित 'गैंग्रीन' कहानी का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'गैंग्रीन' में अज्ञेय जी मालती की घुटन को किस प्रकार चित्रित करते हैं?
- प्रश्न- अज्ञेय द्वारा रचित कहानी 'गैंग्रीन' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 7 : परदा - यशपाल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परदा' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'परदा' कहानी का खान किस वर्ग विशेष का प्रतिनिधित्व करता है, तर्क सहित इस कथन की पुष्टि कीजिये।
- प्रश्न- यशपाल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- अध्याय - 8 : तीसरी कसम - फणीश्वरनाथ रेणु (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हीराबाई का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है ?
- प्रश्न- हीरामन की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए?
- अध्याय - 9 : पिता - ज्ञान रंजन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
- अध्याय - 10 : ध्रुवस्वामिनी - जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक का कथासार अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- नाटक के तत्वों के आधार पर ध्रुवस्वामिनी नाटक की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक के आधार पर चन्द्रगुप्त के चरित्र की विशेषतायें बताइए।
- प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी नाटक में इतिहास और कल्पना का सुन्दर सामंजस्य हुआ है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से ध्रुवस्वामिनी की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'धुवस्वामिनी' नाटक के अन्तर्द्वन्द्व किस रूप में सामने आया है ?
- प्रश्न- क्या ध्रुवस्वामिनी एक प्रसादान्त नाटक है ?
- प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' में प्रयुक्त किसी 'गीत' पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- प्रसाद के नाटक 'ध्रुवस्वामिनी' की भाषा सम्बन्धी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- अध्याय - 11 : दीपदान - डॉ. राजकुमार वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- " अपने जीवन का दीप मैंने रक्त की धारा पर तैरा दिया है।" 'दीपदान' एकांकी में पन्ना धाय के इस कथन के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का कथासार लिखिए।
- प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का उद्देश्य लिखिए।
- प्रश्न- "बनवीर की महत्त्वाकांक्षा ने उसे हत्यारा बनवीर बना दिया। " " दीपदान' एकांकी के आधार पर इस कथन के आलोक में बनवीर का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- अध्याय - 12 : लक्ष्मी का स्वागत - उपेन्द्रनाथ अश्क (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी की कथावस्तु लिखिए।
- प्रश्न- प्रस्तुत एकांकी के शीर्षक की उपयुक्तता बताइए।
- प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी के एकमात्र स्त्री पात्र रौशन की माँ का चरित्रांकन कीजिए।
- अध्याय - 13 : भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?' निबन्ध का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- लेखक ने "हमारे हिन्दुस्तानी लोग तो रेल की गाड़ी हैं।" वाक्य क्यों कहा?
- प्रश्न- "परदेशी वस्तु और परदेशी भाषा का भरोसा मत रखो।" कथन से क्या तात्पर्य है?
- अध्याय - 14 : मित्रता - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'मित्रता' पाठ का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- सच्चे मित्र की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की भाषा-शैली पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 15 : अशोक के फूल - हजारी प्रसाद द्विवेदी (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के नाम की सार्थकता पर विचार करते हुए उसका सार लिखिए तथा उसके द्वारा दिये गये सन्देश पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के आधार पर उनकी निबन्ध-शैली की समीक्षा कीजिए।
- अध्याय - 16 : उत्तरा फाल्गुनी के आसपास - कुबेरनाथ राय (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- निबन्धकार कुबेरनाथ राय का संक्षिप्त जीवन और साहित्य का परिचय देते हुए साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- कुबेरनाथ राय द्वारा रचित 'उत्तरा फाल्गुनी के आस-पास' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कुबेरनाथ राय के निबन्धों की भाषा लिखिए।
- प्रश्न- उत्तरा फाल्गुनी से लेखक का आशय क्या है?
- अध्याय - 17 : तुम चन्दन हम पानी - डॉ. विद्यानिवास मिश्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विद्यानिवास मिश्र की निबन्ध शैली का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- "विद्यानिवास मिश्र के निबन्ध उनके स्वच्छ व्यक्तित्व की महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति हैं।" उपरोक्त कथन के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- पं. विद्यानिवास मिश्र के निबन्धों में प्रयुक्त भाषा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 18 : रेखाचित्र (गिल्लू) - महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'गिल्लू' नामक रेखाचित्र का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- सोनजूही में लगी पीली कली देखकर लेखिका के मन में किन विचारों ने जन्म लिया?
- प्रश्न- गिल्लू के जाने के बाद वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
- अध्याय - 19 : संस्मरण (तीन बरस का साथी) - रामविलास शर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- संस्मरण के तत्त्वों के आधार पर 'तीस बरस का साथी : रामविलास शर्मा' संस्मरण की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'तीस बरस का साथी' संस्मरण के आधार पर रामविलास शर्मा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 20 : जीवनी अंश (आवारा मसीहा ) - विष्णु प्रभाकर (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विष्णु प्रभाकर की कृति आवारा मसीहा में जनसाधारण की भाषा का प्रयोग किया गया है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' अथवा 'पथ के साथी' कृति का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- विष्णु प्रभाकर के 'आवारा मसीहा' का नायक कौन है ? उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में समाज से सम्बन्धित समस्याओं को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में बंगाली समाज का चित्रण किस प्रकार किया गया है ? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' के रचनाकार का वैशिष्ट्य वर्णित कीजिये।
- अध्याय - 21 : रिपोर्ताज (मानुष बने रहो ) - फणीश्वरनाथ 'रेणु' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ 'रेणु' कृत 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में रेणु जी किस समाज की कल्पना करते हैं?
- प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में लेखक रेणु जी ने 'मानुष बने रहो' की क्या परिभाषा दी है?
- अध्याय - 22 : व्यंग्य (भोलाराम का जीव) - हरिशंकर परसाई (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई द्वारा रचित व्यंग्य ' भोलाराम का जीव' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- 'भोलाराम का जीव' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हरिशंकर परसाई की रचनाधर्मिता और व्यंग्य के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 23 : यात्रा वृत्तांत (त्रेनम की ओर) - राहुल सांकृत्यायन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- यात्रावृत्त लेखन कला के तत्त्वों के आधार पर 'त्रेनम की ओर' यात्रावृत्त की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- राहुल सांकृत्यायन के यात्रा वृत्तान्तों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
- अध्याय - 24 : डायरी (एक लेखक की डायरी) - मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- गजानन माधव मुक्तिबोध द्वारा रचित 'एक साहित्यिक की डायरी' कृति के अंश 'तीसरा क्षण' की समीक्षा कीजिए।
- अध्याय - 25 : इण्टरव्यू (मैं इनसे मिला - श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी) - पद्म सिंह शर्मा 'कमलेश' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- "मैं इनसे मिला" इंटरव्यू का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- पद्मसिंह शर्मा कमलेश की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 26 : आत्मकथा (जूठन) - ओमप्रकाश वाल्मीकि (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- ओमप्रकाश वाल्मीकि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालते हुए 'जूठन' शीर्षक आत्मकथा की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आत्मकथा 'जूठन' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- दलित साहित्य क्या है? ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य के परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की भाषिक-योजना पर प्रकाश डालिए।